माँ की चुदाई उनके दोस्त ने की

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दोस्तो, मेरा नाममनु है और अभी मैं इन्जनियरिंग कर रहा हूँ। यह बहुत पुरानी घटना है.कहानी जयपुर(राजस्थान) की है जहाँ मेरे मामाजी भी काम के सिलसिले में ठहरे हुए थे और उनके साथ उनका एक अच्छा दोस्त भी था जिनका नाम महेश था।
वो मेरी माँ को अच्छी तरह से जानते थे और मेरी माँ भी उनको जानती थी.अक्सर मामाजी के साथ उनसे भी मिलना हो जाता था पर मैं उनके सम्बन्ध को नहीं जानता था। मेरी यह कहानी मेरी माँ और उन महेश अंकल की है।
जब मैं छोटा था तब ‘संभोग’ के बारे में नहीं जानता था लेकिन आज इतना बडा हो गया हूँ तो सब समझ में आता है कि उस दिन मेरी माँ और वो अंकल क्या कर रहे..
Maa ki chudai – शिमला में चुदाई
सबसे पहले मैं आपको मेरी माँ और उन अंकल का परिचय कराता हूँ। मेरी माँ एक घरेलू महिला हैं.गोरा रंग.उस वक्त उम्र 24 साल थी.कद 5 फ़ुट 3 इन्च और अंकल की उम्र करीब 50 और 55 के बीच की रही होगी।
तो अब यहाँ मेरी कहानी शुरु होती है। एक दिन मेरी माँ ने मुझसे कहा- चलो.मामाजी से मिलकर आते हैं।
उनका घर एक घुमावदार टीले पर था और थोड़े कच्चे मकान भी थे आसपास।
जब हम मामाजी के घर पहुंचे तो महेश अंकल ने दरवाजा खोला.उन्होंने अन्दर आने के लिये बोला। मुझे देख कर वो खुश भी हुए और बोले- अरेमनु भी आया है!
और उन्होंने मुझे प्यार किया और गोद में उठाया और अन्दर आ गये। मेरी माँ ने मामाजी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहाँ वो किसी काम से बाहर गये हैं।
मैं घर को इधर उधर देखने लगा.वो लोग बातें कर रहे थे पर मुझे उनकी बातों से क्या मतलब था क्योंकि मैं बहुत छोटा था। वो धीरे धीरे बातें कर रहे थे.वो दोनों एक बिस्तर पर ही बैठे थे जो एक खाट जैसी थी।
Maa ki chudai – बाबा का चक्कर
थोड़ी देर के बाद बात अंकल ने मुझे बाहर खेलने को कहा। मैंने माँ की तरफ़ देखा तो उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मौजूदगी से उनको किसी तरह की शर्म आ रही हो।
मैं वहाँ से जाना नहीं चाहता था क्योंकि मैं बहुत छोटा था और जिद्दी भी। फिर माँ ने मुझसे कहा- बेटा तुम थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो.हम तुझे आवाज लगा देंगे।
अब मेरी माँ बिस्तर पर लेट गई। ऐसा लग रहा था कि दोनों की रजामंदी आँखों ही आँखों में हो गई थी पर मैं वहीं एक तरफ़ खडा हो गया.बाहर की तरफ़ देखने लगा और वो एक-दूसरे में ही खो गये। शायद उन्होंने अपना ध्यान मेरी तरफ़ से हटा लिया था। अब मेरी माँ ने अपनी साड़ी ऊपर करने के किये अपने पैर फ़ैलाए तो उनकी पायल ने मेरा ध्यान खींचा पर वो दोनों मेरी ओर ध्यान नहीं दे रहे थे।
तब मैंने देखा कि मेरी माँ ने अपने एक हाथ से अपनी साड़ी ऊपर की जिससे मैंने अपनी माँ की गोरे-गोरे गदराई हुई जांघों को देखा.माँ की जांघों को देखकर अंकल की आँखों में चमक आ गई और वो अपने होंटों पर जीभ फेरने लगे जैसे भूखे शेर के सामने गोश्त का टुकड़ा रख दिया हो।
इधर मैं हैरत में पड़ गया कि मेरी माँ की इतनी गोरी गोरी टाँगें कैसे हैं.बाहर से इतनी गोरी तो कभी नहीं दिखती थी।
इतनी देर बाद भी उनका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं गया। उधर अंकल घुटनों क बल बिस्तर पर खड़े हुए थे। अब माँ ने अपनी गदराई हुई टांगों को फ़ैलाया.अंकल माँ को ‘संभोग’ के लिये तैयार होने तक रुके हुए थे।
Maa ki chudai – पडोसी से चुत चुदवाई
अब माँ ने अपनी साडी के अंदर हाथ डालकर अपनी अंडरवीयर का थोड़ा सा हिस्सा एक तरफ़ किया पर मैं उसे साफ़ नहीं देख सका। अब मेरी माँ अंकल को अपनी योनि का भोग देने के लिये पूरी तरह से तैयार थी और अंकल का इंतजार कर रही थी। इधर अंकल ने भी अपनी पैंट का हुक खोला और फिर जिप,, और बाद में अंडरवीयर।
तो मैंने देखा कि दस इंच का काला मोटा लण्ड मेरी माँ की योनि भोगने के लिये बैचेन हो रहा था। अब अंकल धीरे धीरे मेरी माँ के ऊपर लेटने लगे और मेरी माँ को पूरा अपने कब्जे में ले लिया और पूरी तरह से माँ के ऊपर चढ़ गये जैसे कोई उनसे माँ को छीन न ले।
अब मैंने देखा उनकी वो पैंट का वो खुला हुआ हिस्सा और माँ का खुला हुआ हिस्सा आपस मे मिल रहे हैं.पर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये लोग कर क्या रहे हैं।
तभी अंकल ने झटका मारा.जिससे पूरी खाट हिल गया।
तभी उन दोनों का ध्यान मेरी ओर गया और मेरी माँ ने मुझे कहा- बेटा.तुम थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो.थोड़ी देर बाद में आना!
तब मुझे बहुत गुस्सा आया कि मुझे बाहर क्यों भेज रहे हैं.लेकिन मैं.इन सब बातों को समझने के लिये बहुत छोटा था। करीब पांच मिनट बाद मैंने सोचा कि आखिर ये लोग कर क्या रहे हैं। तो फिर मैं एकदम से अंदर चला गया तो वो हक्के-बक्के रह गये.शायद वो दोनों गर्म हो चुके थे और मेरे एकदम से आने के कारन उनके संभोग मे बाधा पड़ गई थी तो अंकल ने मुझे कहा- तुमको कहा ना कि थोड़ी देर बाहर जाओ.हम तुझे बुला लेंगे। और कहा कि इस गेट को बंद करके जाना और अब अंदर मत आना।
इस बार अंकल के स्वभाव में थोड़ी नाराजगी थी।
तो मैं फिर बाहर चला गया। फिर मैंने उनको छुप कर देखने की योजना बनाई पर डर के मारे हिम्मत नहीं हो रही थी। तभी मैंने देखा कि दरवाजे में छोटा सा छेद है।
मैंने उसमें से अंदर झांका तो सब कुछ साफ़ दिख रहा था। वो आपस में धीरे-धीरे बात कर रहे थे पर उनकी बातें मुझे समझ में नहीं आई।
Maa ki chudai – अंकल पैंटी आए और चोद गए
फिर मैंने देखा कि अंकल माँ को जोर-जोर से झटके मार रहे थे और पूरी खाट हिल रही थी। इन झटकों की वजह से माँ की पायल भी सुर से ताल मिला रही थी। मैंने देखा कि अंकल के जबरदस्त झटकों से माँ की जांघों के लोथड़ आवाज कर रहे थे और दोनों एक दूसरे से आपस में पैरों को उलझाए हुए थे.साथ में बात भी कर रहे थे और ‘संभोग’ का भरपूर आंनद ले रहे थे।
पूरा कमरा फ़च,,फ़च,, की आवाज से गूंज रहा था और एसा लग रहा था कि खाट अभी टूट जायेगी अंकल के करारे झटकों से!
उनकी वासना भरी बातें मुझे समझ में नहीं आ रही थी क्योंकि इन सब बातों के लिये बहुत छोटा था। इधर अंकल हर चार पांच झटकों के बाद एक जोरदार झटका देते माँ को तो माँ की चूड़ियाँ और पायल भी बज उठती और अंकल को और जोश आ जाता। मेरी माँ अपने हाथ से उनकी कमर को प्यार से ऊपर से नीचे तक बच्चे की तरह सहला रही थी और उनको भरपूर यौनसुख दे रही थी।
15 मिनट बाद अंकल का शरीर अकड़ने लगा और नौ-दस झटके मारने के बाद अंकल के चेहरे से ऐसा लगा वो मेरी माँ कि योनि को जी भरकर भोगने के बाद पूरी तरह से तृप्त हो गये!
दोनों पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे.उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी और फिर वो माँ के चूची पर लेट गये और स्तनो को धीरे-धीरे दबाने लगे। मेरी माँ उनके बालों में हाथ डालकर उनको प्यार से सहला रही थी और फिर बाद में उनके माथे को चूमा.उनको छोटे बच्चों की तरह प्यार देने लगी। दोनों पसीने से नहाए हुए थे और हाँफ़ भी रहे थे। थोड़ी देर मेरी माँ और अंकल एसे ही लेटे रहे.फिर अंकल मेरी माँ के उपर से हटकर बगल में लेट गये।
अब मैंने देखा कि अंकल मेरी माँ से उनके कान में कुछ बोल रहे थे.तब मेरी माँ ने अपनी साड़ी ठीक की और अंकल मेरी माँ के बराबर से थोड़ा नीचे सरक गये.मेरी माँ अंकल की तरफ़ मुँह करके लेट गई और अंकल माँ के चूची के बराबर आ गये। अब मैंने देखा कि मेरी माँ ने अपना पल्लू अपने चूची से हटाया और अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी और फिर हाथ पीछे करके अपनी ब्रा का हुक खोला और अपने कोमल.मुलायम चूची को अंकल के सामने परोस दिया।
Maa ki chudai – मुझे लंड मिल गया
इधर अंकल नर्म-नर्म चूची को देखकर उस पर टूट पडे और मेरी माँ प्यार से उनके बालों में हाथ फ़ेरते हुए बोली- आप तो बहुत भूखे हो!
तो अंकल बोले- पहली बार किसी जवान और दूध वाली औरतके चूची का भोग लगा रहा हूँ।
थोड़ी देर के बाद मेरी माँ एकदम से चीखी। अंकल ने कहा- क्या हुआ?
धीरे-धीरे पियो.काटो मत।दुखता है!
यह कहानी आप अन्तर्वासना पोर्न स्टोरीज पर पढ़ रहे हैं।
फिर पंद्रह मिनट तक माँ ने अंकल को अपना दूध पिलाया,, इस दौरान अंकल ने माँ के चूची काट-काट कर अनार जैसा लाल कर दिया। माँ को बहुत दर्द भी हुआ था।
जब अंकल माँ के चूची को जी भरकर भोगने के बाद पूरी तरह से सन्तुष्ट हो गये तब कहीं जाकर माँ को राहत मिली और माँ ने अपना ब्लाउज बंद किया।
अंकल का मुँह दूध से भरा हुआ था.तब वो माँ से कहने लगे- तुम्हारे चूची का दूध गरम और मीठा है.मैंने आज जी भरकर तुम्हारे चूची का भोग लगाया है।
तब मेरी माँ ने उनके बालों में प्यार से हाथ फ़ेरते हुए उनके सर को चूम लिया और उठकर दरवाजे की ओर आने लगी तो मैं वहाँ से फ़टाफ़ट भाग गया,,
मेरी माँ दरवाजा खोलते ही मुझे देखने के लिये आई.मैंने वहीं सीढ़ियों पर खड़े होकर सड़क पर चल रही गाड़ियों को देखने का बहाना बनाया और उनको एहसास भी नहीं होने दिया कि मैंने सबकुछ देख लिया था। मेरी माँ ने मुझे आवाज लगाई पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया.मैंने देखा कि दूध रिसने के कारण मेरी माँ के ब्लाउज के आगे के हिस्से गीले हो रहे थे।
Maa ki chudai – मेरी चूत का उद्घाटन समारोह
वो मेरे पास आई.मैं तब भी चुप था.हकीकत में मैं उदास भी था क्योंकि मुझे डांट कर बाहर जाने के लिये बोला गया था.मैं अपनी माँ से नाराज था क्योंकि उन्होंने भी मुझे जाने से नहीं रोका.मैंने अपनी माँ की तरफ़ नहीं देखने की ठान ली। मेरी माँ बार-बार मुझे अपनी तरफ़ देखने के लिये मना रही थी.काफ़ी देर बाद मनाने के बाद मैंने उनकी तरफ़ देखा.तो मेरी आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। तब मेरी माँ ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और रोने का कारण पूछा।
तो मैंने अंकल के डांटने की वजह बताई.तब मेरी माँ ने बहुत प्यार किया और कहा- अब कोई नहीं डांटेगा.मैं हूँ ना।
और मुझे कमरे में ले गई और मुझे खूब प्यार किया और खाने के लिये चीजें भी दी.मैं खुश हो गया।
दोस्तो.यह मेरी पहली कहानी है.बिल्कुल सच्ची घटना है.अपने विचार जरूर भेजना।
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Photo of the Remarkables mountain range in Queenstown, New Zealand.
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