हैलो दोस्तों , मैं राहुल दिल्ली से। आज फिर ले आया हूँ आपके लिए एक सच्ची चुदाई कहानी। आज में आपको उस पड़ोसन की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसने मुझे मेरी मकान मालकिन और उसकी बेटी की भी चूत दिलवाने में हेल्प की थी। वो कहानी तो आपको याद ही होगी। अगर आपने वो कहानी नहीं पढ़ी तो आप रिश्तो की कहानिया पेज पर “मकान मालकिन और उसकी बेटी को चोद कर किराया चुकाया ” कहानी पढ़ सकते हैं। मेरी हर चुदाई की दास्तान जैसी ही मजेदार और सेक्स से बहरपुर आज की कहानी भी है। सीधे चलते हैं अब कहानी की तरफ।
जैसा कि आप लोग जानते हैं मैं पंजाब से दिल्ली पढ़ने आया था और शुरू शुरू में एक किराये का फ्लैट लेकर रहता था। जहाँ की मकान मालकिन और बेटी को मैं रोज चोदता था, कभी कभी एक साथ और कभी अकेले अकेले। उनकी कहानी तो सुना चूका हूँ , आज सुनाता हूँ सुनीता भाभी की कहानी। मैं दिल्ली आ तो गया था पर तीन चार दिन तक बहुत बोर हो रहा था। जब से लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ है तब से चूत मरने की लत लग गयी। और ऐसा पहली बार हो रहा था कि चार दिन से मैंने कोई लड़की नहीं ठोकी। मैं अपनी पंजाब वाली गर्लफ्रेंड और अपनी भाभी को वीडियो कॉल पर चोदता था और मुठ मरता था। पर ऐसा कब तक चलता , इसलिए मैं चौथे दिन शाम में पार्क में चला गया और ढूंढने लगा कोई चुदकड़ माल।
मुझे तो शकल देख कर ही अंदाज़ा हो जाता है , कोन चुदकड़ है और कोन शरीफ। पार्क तो भरा पड़ा था हसीं चेहरों से , भाभियाँ , अंटियाँ, जवान लड़किया , जिधर देखो उधर हुस्न ही हुस्न की परियां। अब इनमे से किसे पटाऊ ये सोचने लगा। फिर घूमते घूमते मैं पार्क के पीछे चला गया जहाँ पर सब लोग योग कर रहे थे। असली मजा तो वहाँ पर था। मैं वहाँ खड़ा होकर हुस्न ताड़ने लगा। कही कोई भाभी झुक कर अपनी चूचियां दिखा रही तो कही कोई लड़की अपनी गांड। पांच ही मिनट में मेरा हथियार भी मेरे साथ आ गया और वो भी अलग अलग चूचियां और गांड को देख कर जोश में आने लगा। मेरे हथियार ने मेरे पैजामे में ही उछलना शुरू कर दिया और तन कर खड़ा हो गया।
अब मुझे शर्म आने लगी क्यूंकि सात इंच का लण्ड अगर खड़ा है तो पैजामे में तो साफ़ साफ़ दिखता है। मुझे वहाँ रुके भी काफी देर हो गयी थी इसलिए किसी के बोलने से पहले मैं वहाँ से जाने लगा। अभी पीछे मुड़ा ही था कि एक भाभी मुझसे टकरा गयी और मेरे ऊपर गिर गयी। वो शायद जॉगिंग कर रही थी। अब वो मेरे ऊपर थी और में उसके निचे। और निचे मेरा लण्ड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था। उसकी चूचियां मेरी छाती से दबी हुयी थी और इस वजह से मेरे लण्ड ने भी अब अपना पूरा जोश दिखाना शुरू कर दिया और उसकी चूत को स्पर्श करने लगा। भाभी को भी लग गया पता और वो हंसने लगी कहती साले पार्क में भी खड़ा कर के घूम रहा। मैंने बोला तुम जैसी हुस्न की परिया हैं यहां तो ये तो खड़ा होगा ही। हम अभी उठे नहीं थे और उसने ऐसे ही बोला साले कितना बड़ा है तेरा। मैंने बोला इतना कि भाभी आपकी चूत में डालूंगा तो गांड से बाहर आएगा। हम हंसने लगे और खड़े हो गए। अब तो लण्ड ने तम्बू बना लिया और वो मेरे एकदम पास आ कर गयी और चुपके से लण्ड सेहला कर बोली इसे लेने में तो मजा आएगा और हंस कर चली गयी। जब वो ऊपर गिरी तो चूचियों का साइज तो पता लग गया ,लगभग ३८ था और अब पीछे से जाते हुए देखा तो गांड का भी एक्सरे किया वो भी करीब ३६ होगी गोल गोल।
कमर तो देख कर ही पता लग रहा था कि ३२ है। कुल मिला कर एक सेक्स हसींन चुदकड़ भाभी है ये। पर क्या फायदा तड़पा के चली गयी साली , कोई जान पहचान भी नहीं हुयी और दोबारा मिलेगी भी या नहीं , चुदाई करने देगी या नहीं कुछ नहीं बताया। उसको देखने के बाद अब मेरा मन ही नहीं किया किसी और को भी देखु, शायद दिन ही खराब था। पर नहीं दिन बहुत अच्छा था भाईओ। अगली दोपहर को में कॉलेज से वापिस आया तो खाना खाकर मैंने अपने लण्ड की कसरत शुरू की। मेरे तीन इंच मोटे और सात इंच लम्बे लण्ड का राज़ यही है , मैं इसकी रोज सरसो के तेल से मालिश करता हूँ। उस दिन भी में वही कर रहा था और मेरे रूम की खिड़की हमेशा की तरह खुली हुयी थी।
अचानक से मेरी नजर सामने वाले फ्लैट पर गयी , वहा पर एक औरत मुझे ध्यान से देख रही थी। मैं बिलकुल नंगा था और मेरा लण्ड खड़ा था , मैं उसकी मालिश कर रहा था। जब मैंने उसे ध्यान से देखा तो वो वही कल वाली भाभी थी। उसने इशारा कर के बोला बहुत अच्छा लण्ड है। उसने अपनी चूत पर हाथ रखा और इशारा किया उसे ये उसकी चूत में चाहिए। मुझे समझ में आ गया पर मैंने अनजान बनने का नाटक किया और जिस लिए ये नाटक किया वही हुआ। उसने अपनी जीन्स निचे की और चूत पर हाथ फेरने लगी और मुझे इशारा किया लण्ड हिला अपना।
मैंने अब मालिश करना बंद किया और मुठ मरना शुरू किया। जितना तेज मैं मुठ मरता उतनी ही तेज वो अपनी ऊँगली चूत में अंदर बाहर करती। अब हम वो पीछे सोफे पर गयी और टाँगे उठा कर खुद को चोदने लगी। मैं खड़ा होकर ही लण्ड हिला रहा था। अब चाहे चूत में हो या मुठ मेरा लण्ड आधे घंटे से पहले हार नहीं मानता । वो तो झड़ के बैठ चुकी थी और मुझे देख रही थी। तीस पेंतीस मिनट बाद मेरे लण्ड ने माल छोड़ा और वो ये देख कर हैरान हो गयी। पर साली इस बार फिर से बहुत अच्छे का इशारा किया और पर्दा लगा लिया। चलो अब इतना तो पता था कि ये मेरे सामने ही रहती है।
अगले दिन उसी टाइम मैं फिर से खिड़की पर आ गया और उसका इंतज़ार करने लगा। दस मिनट में ही भाभी आ गयी और हैलो का इशारा किया और पूछा आज का क्या प्लान है। मैंने इशारा किया आज मुझे तुझे ठोकना है ,मैं वहाँ आ जाऊ क्या ? उसने इशारा किया नहीं। मैंने सिर निचे कर के नाराज होने का बहाना किया। सिर उठा कर उसे देखा तो वो चली गयी थी। साला पुरे मूड की माँ चुद गयी। पर बहुत देर तक नहीं , दस मिनट में ही डोर बैल बजी और मैंने दरवाजा खोला तो सामने वही भाभी। दरवाजा खोलते ही वो अंदर की तरफ भागी और मैं हैरानी से पीछे मुड़ कर उसे देखने लगा। वो बोली दरवाजा बंद कर बहनचोद देख क्या रहा है। मैंने भी तुरंत दरवाजा बंद किया और इतने में वो सोफे पर बैठ चुकी थी। टेबल पर पैर रख लिए थे और बगल में राखी सिगरेट जला ली और पीने लगी। मैं उसके पास आकर बैठ गया। उसने तुरंत ही बोला दारु भी या सिर्फ सिगरेट पीता है साले। मैं तुरंत उठा और दो पेग बना कर ले आया। मैं उसे कुछ बोल नहीं रहा था बस अपना पेग खींच रहा था। हम दोनों का पेग खतम हुआ तो उसने सिगरेट मुझे दी पीने को।
मैंने सिगरेट पकड़ी और उसने अपनी साडी का पल्लू गिरा दिया और उसकी स्लीवेल्स ब्लाउज में से उसकी चूचियों का दर्शन बहुत मजेदार था और इतना कामुक कि मैं सिगरेट भूल गया पीना और बस उसकी चूचियां निहारता रहा। वो सोफे पर छाती के बल लेट गयी और उसका मुँह मेरे लण्ड के पास था। अब उसकी चूचियों की का दर्शन मुझे और खुल कर हो रहा था। उसने मेरी जांघो पर हाथ रखा और सहलाने लगी मैंने भी उसके होंठ को हाथो से मसल दिया उसके मुँह में ऊँगली डाल दी। अब वो मेरी उंगलियां चूस रही थी और मैं सिगरेट पी रहा था। उसने एकदम से मेरी शॉट्स के निचे से अंदर हाथ डाला और लण्ड पकड़ लिया। मेरा सात इंची लण्ड हाथ में लेकर वो हैरान हो गयी और एकदम से मेरी शॉट्स खींच कर निचे कर दी और बोली बाप रे बहनचोद इतना बड़ा। मैंने उसके बाल पकडे और बोला भाभी मुँह में लेकर देखो जायेगा कि नहीं। अंदाज़ा लगा लो चूत में सेहन कर पाओगी या नहीं।
वो हंसने और बोलती साले यही लेने तो आयी हूँ और क्या माँ चुदवाने आयी हूँ अपनी। मैंने बोला तो क्या खुद को चुदवाने आयी है। वो बोली साले बहुत बोल रहा है और इतना बोल कर मेरा लण्ड जोर से दबा दिया। मुझे दर्द हुआ और मैंने बोलो आअह्ह्ह क्या कर रही रंडी। उसने बिना कुछ बोले लण्ड मुँह में डाल लिया और हो गयी रंडियो की तरह चूसने लगी । मैंने पानी टीशर्ट उतार ली और झुक कर शॉट्स भी पूरी उतार कर फेक दी। मुझे उसका सिर पकड़ कर दबाने की जरुरत नहीं पड़ी। पूरी चुदकड़ थी वो और खुद ही बड़े मजे से लण्ड चूस रही थी और लण्ड के आस पास भी जीभ से चाट रही थी। टट्टे तो ऐसे खा रही थी जैसे आम का रस चूस रही हो। मैंने उसकी गांड सेहलानी शुरू की। पहले तो साडी के ऊपर से ही सहलाता रहा फिर धीरे धीरे उसकी साडी ऊपर उठाने लगा। साडी पूरी कमर पर इकठी कर के मैंने उसकी गांड पर जोर से थपड मारा और वो चीख पड़ी क्या कर रहा है माधरचोद। गांड मारनी होती है न की गांड पे थपड। मैंने बोला रंडी जो कर रही वो कर और उसकी गांड अब प्यार से सहलाने लगा।
वो अभी भी मेरा लण्ड चूस रही थी , मैंने उसकी पेंटी निचे सरका दी और अब उसकी गांड दबाने लगा। वो गर्म होने लगी और अब तो उसने लण्ड को लॉलीपॉप या आइस क्रीम समझ कर चूसना शुरू कर दिया और मैं तड़पने लगा। मैंने उसकी गांड में ऊँगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा। पंद्रह मिनट तक उसने अपना मुँह चुदवाया और फिर उठ कर तुरंत ब्लाउज खोला और अपनी तरबूज जैसे बड़ी बड़ी चूचियां मेरे मुँह पर रख दी। मैंने भी हाथ से दोनों चूचियां पकड़ ली और एक को चूसने लगा। उसके निप्पल को जान बुझ कर बार बार काट रहा था। वो अभी भी घुटनो के बल बैठी थी और ऊपर से मेरा सिर अपनी छाती में दबा रही थी। मैंने उसकी चूचियों पर भी बहुत दांत काटे , पर उसे उस दर्द में बहुत मजा आ रहा था वो वो और जोर से मेरा सिर दबाने लगती। दस मिनट मैंने ऐसे ही उसकी चूचियां चूसी और फिर उसे धक्का देकर लिटा दिया।
अब मैंने फिर से उसकी साडी उठायी और पेंटी खींच कर उतार फेंकी। अब उसने खुद ही अपने पैर फैला लिए और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। पहले तो मैं उसकी जांघो और कमर को चाटने लगा जिस से उसकी हवस और तड़पने लगी और उसकी सिसकियाँ खुल कर बाहर आने लगी। वो अपने हाथो से पानी चूचियां दबा रही थी और बोल रही थी तू सिर्फ साला ही नहीं कुत्ता भी है। कुत्ते से अच्छा चाट लेता है तू तो साले। मैंने उसकी गालियों का जवाब उसकी जांघ पर दांत काट कर दिया। वो चीख पड़ी साले माँ चोद दूंगी तेरी। मैंने बोला रंडी पहले खुद चुदवाने आयी है तो पहली अपनी ठुकवा बाद में मेरी माँ चोदना। इतना बोल कर मैंने उसे थोड़ा आगे खींचा और सीधे उसकी चूत पर धावा बोल दिया।
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं और हलकी काली गुलाबी रंग की चूत जिसमे से मनमोहक खुसबू आ रही थी। मैंने चूत चाटना शुरू ही किया था कि उसने अपनी टाँगे फोल्ड कर ली और मेरा सिर दबा दिया। अब मैंने भी उसकी चूत हाथ से हलकी खोली और अंदर जीभ डाल कर उसे चोदने लगा। अब तो वो रंडी बस आआह्ह्ह आआआअह्ह्ह्हह आआअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह कमाल है साले तू क्या चाटता है यार आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह। मेरे चाटने की वजह से वो झड़ गयी दस मिनट में ही। और फिर मैंने हमेशा की तरह उसकी चूत का रस चाट कर साफ़ कर दिया। अब मैंने उसे बोला नंगी कर दूँ तुझे पूरी। वो बोली साले पूछ के करेगा, कर न बहनचोद। मैंने उसकी साडी उतारनी शुरू की और दो ही मिनट में वो बिलकुल नंगी हो गयी।
उसने बोला बेड नहीं है क्या तेरे घर में। मैंने बोला है न मेरी जान , तो उसने जवाब दिया तो साले उसपे क्या नहाता है। ले चल मुझे वहा लेजाकर अच्छे से चोद ये रंडी। मैंने उसे गोद में उठा लिया और अब पहली बार उसके होंठो को चूमा और ऐसे ही उसके होंठ चूसते हुए उसे बेड पर ले जाकर पटक दिया। मैंने उसके ऊपर चढ़ना चाहा पर उसने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे होंठो से अपने होंठ मिला कर चूसने लगी। अब वो पूरी तरह पागल हो चुकी थी। अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी और मेरे होंठो को चूस रही थी। मैं उसकी गांड दबा रहा था। अब वो फिर से धीरे धीरे निचे जाने लगी और मेरी छाती चाटने लगी। मेरे निप्पल्स को चूसने लगी और कुछ ही देर में मेरा लण्ड फिर से उसके मुँह को चोदने लगा।
इस बार तो वो और भी पागलो जैसे लण्ड चूस रही थी और इस बार तो में भी बाल से पकड़ कर उसका मुँह चोद रहा था। सात इंची लण्ड उसके गले तक पहुँच रहा था और उसकी आवाज बिलकुल बंद हो गयी थी। पांच मिनट तक वो फिर से मेरा लण्ड चुस्ती रही और उसके बाद मेरे ऊपर बैठ गयी। थोड़ी सी गांड उठा कर उसने मेरा लण्ड पकड़ा और चूत पे निशान लगा लिया और एक झटके में लण्ड अपनी चुत में घुसे घुसेड़ लिया। झटके की वजह से मेरी भी चीख निकल गयी और वो भी मेरा लण्ड सेहन न कर पायी और चीख पड़ी। मैंने बोला आराम से करती माधरचोद। वो बोली आराम आराम से क्यों करू बच्ची हूँ में क्या। लाँड़ लाँड़ का पानी पी चुकी हूँ साले पर तेरे जितना मोटा लम्बा लण्ड आज पहली बार नसीब हुआ। साले ने मेरी चीख निकलवा दी। इतना बोल कर उसने मेरे हाथ उठाये और अपनी चूचियों पर रखे और लण्ड पर उछलना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चूचियां दबाता रहा और वो आअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह बोलते बोलते मुझे चोदती रही। अब मैंने उसकी गांड पर हाथ लगाया और उसे उछलने में हेल्प की और उसने अपनी चूचियां अपने हाथ में ले ली और दबाने लगी। अब जितना जोर से उछलती उतना ही जोर से अपनी चूचियां दबाती। पंद्रह मिनट तक ये सिलसिला चलता रहा और वो एक बार झड़ गयी। अब वो थक कर मेरे ऊपर लेट गयी पर मैंने उसे चिढ़ाया क्यों रंडी हो गया बस। वो साली ये सुन कर फिर से जोश में उठी और सीधे कुतिया बन गयी। वो बोली अब दिखा तू साले तुझमे कितना दम है। उसकी गांड का एक्सरे तो किया था पर मेरा अंदाज़ा गलत था । उसकी गांड लगभग चालीस की थी और अभी भी गालो जैसी ही चिकनी।
मैंने पहले उसकी गांड को चाटना शुरू किया और गांड के छेद में भी जीभ दाल कर उसे और गर्म किया। वो बोली गांड भी मार लेना साले पहली चूत की आग तो बुझा। मैंने उसकी गांड थोड़ी ऊपर उठायी और एक झटके में लण्ड उसकी चूत चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी से टकराया। अब शुरू से ही मैंने घोड़े की तरह उसे चोदना शुरू किया और अब तो उसकी आवाजों में हवस और भर चुकी थी। आअह्ह्ह आअह्ह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह चोद मेरे कुत्ते अपनी कुतिया को चोद साले जोर जोर से चोद आआह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह। वो पूरी तरह से झुक गयी और अपना मुँह बेड पर रख लिया। मैंने उसके बाल से उसे खींच लिया और स्पीड और बढ़ा दी। दस मिनट बाद मैंने बोला अब लेट जा। वो मेरी तरफ गांड कर के लेट गयी और मैंने उसकी एक टांग उठा कर पीछे से उसकी चूत को फिर से चोदना शुरू किया। पांच मिनट तक उसे ऐसे ही चोदता रहा और वो फिर झड़ गई।
मेरा अभी हुआ नहीं था पर वो बिलकुल शांत ही चुकी थी। अब मैंने उसे सीधा कर के लिटा दिया और उसकी टाँगे उठा कर अपने कंधो पर फिट कर ली और अब इस पोजीशन में उसे चोदता रहा। वो आँखे बंद कर के बस आअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह करते चुदवाती रही। मेरा निकलने वाला था , मैंने बोला रंडी कहा लेगी लण्ड का रस , चूत में या मुँह में। वो बोली तू चूत की प्यास बुझ साले में हमेशा आईपिल लेकर चलती हूँ पता नहीं कब कहा किस के लण्ड से चुदवाने का मन कर जाये। मैंने भी उसकी टाँगे अब और ऊपर उठायी और झटको की स्पीड बढ़ा दी। पांच मिनट बाद मेरे लण्ड ने सारा रस उसकी चूत में चोद दिया पर मुझे अभी शांति ना मिली तो मैंने उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया। वो तो बेसुध होकर पड़ी थी मैं ही जबरदस्ती उसका मुँह खोल कर चोद रहा था। तीन चार मिनट बाद मैं शांत हुआ और उसके बगल में लेट गया। पांच मिनट बाद वो उठी और मेरे ऊपर चढ़ कर बोली साले आज से पहले मैं लड़को को थका देती थी आज पहली बार मैं थकी हूँ चुदवा के। अब तो तेरा लण्ड मेरी चूत की कमजोरी बन गया है।
मैंने बोला अच्छा , एक बात बता। मैं तुझे रंडी बोलू भाभी बोलू या तेरा नाम भी है कोई। वो बोली साले तू मुझे सुनीता रंडी भाभी बोल। उसने मुझे पूछा तू भी गालिया ही सुनेगा या तेरा भी नाम है कुछ। मैंने नाम बताया तो वो बोली ठीक है चोदू राहुल। हम हंसने लगे। मैंने उसे पूछा तो सुनीता रंडी भाभी दुबारा कब चुदवायेगी। वो बोली मुझे रोज लण्ड चाहिए होता है। मेरा पति नामर्द है। वो दिन में काम पर होता है तो मैं दिन में बाहर लण्ड खाती हूँ। मोहल्ले में ऐसा कोई जवान मर्द नहीं जिसने मुझे चोदा न हो। पर आज से लण्ड ढूँढना बंद अब तो ये रंडी तेरी। उसने मुझे अपना नंबर दिया और बोला कॉलेज से आकर मुझे फ़ोन कर देना अब रोज।
फिर क्या था , अब रोज सुनीता रंडी भाभी दोपहर से शाम तक मेरे रूम में चुदवाती रहती थी। कॉलेज खतम होने तक उसने मुझे सात चूत और दिलवाई। खुद ही मेरे लण्ड के चर्चे कर के मुझे फेमस कर दिया।
कैसी लगी दोस्तों मेरी और सुनीता रंडी भाभी की चुदाई की कहानी। कमेंट कर के बता दो फिर जाओ अपनी हवस शांत करो।
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